Wo Sumiran Ek Nyara re Santo
वो सुमिरण एक न्यारा है
वो सुमिरण एक न्यारा है संता, वो सुमिरण एक न्यारा है
जिस सुमिरण से पाप कटे है, होवे भव जल पारा है
वो सुमिरण एक न्यारा है
मालण कर मुख जिव्ह्या ना हाले, आप ही होत उच्चारा है
सब के घट एक रचना रे लागी, क्यों नहीं समझे गंवारा रे संतो
वो सुमिरण एक न्यारा है
अखंड तार टुटे नहीं कबहु, सोहम शब्द उच्चारा है
ग्यान आंख म्हारा सतगुरु खोले, जानेगा जाननहारा है
वो सुमिरण एक न्यारा है
पुरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, चारो दिशाओं में पचहारा है
कहे कबीर सुनो भाई साधो, ऐसा शब्द लेओ टकसारा रे संता
वो सुमिरण एक न्यारा है
जिस सुमिरण से पाप कटे है, होवे भव जल पारा है
वो सुमिरण एक न्यारा है
***************
Wo Sumiran Ek Nyara re Santo
Sumiran Ek Nyara re Santo PDF
Please do not enter any span link in the comment box.