मनक जमारा रो योई रे मोरछो
मनक जमारा रो योई रे मोरछो
बन गयो चैरासी को लाड़ो मना रे कर सुमरण दन आड़ो।
घरम बेलड़ी नें युक्ति से सिंचो पाप मूल में काटो
अरे कटिया बलिया तो और फूटेगा, कटिया बलिया तो और फूटेगा
जड़मूल से खोदो मना रेकर सुमिरण दन आडो…
देता लेता टांग पसारतो कई भर लई जाएगा गाड़ो
अंत समय में चलियो जायगा अंत समय में तु चलियो जायगा
जेसे दशहरा को पाड़ो मना रे कर सुमरण दन आड़ो…
घर की तिरिया से राजी राजी बोले मात पिता से बोले आड़ो
घर की तिरिया तो और मिलेगा घर की तिरिया तो बहुत मिलेगा
मात पिता को कई सारो मनारे कर सुमिरण दन आड़ो…
सात शून्य पर महा शुन्य हे वहाॅं साहब म्हारो ठाड़ो
कहे कबीर सुनो भई साधो कहे कबीर सुनो भई साधो
धरम चलेगा अगाड़ो मनारे कर सुमिरण धन आड़ो…
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